स्वार्थ को त्यागना ही सबसे बड़ी तपस्या -मुनिश्री
ग्वालियर।जीवन का सार भलाई है। जीवन में किसी की मदद नहीं की, किसी का भला नहीं किया तो इस मानव जीवन का औदित्य ही क्या है ? यदि मनुष्य जन्म मिला है तो जाति-पाति का भेदभाव मिटाकर जीवन को परमार्थ में लगा दो। नि:स्वार्थ भाव से परमार्थ में जुट जाओ। स्वार्थ को त्यागना ही सबसे बड़ी तपस्या है। धन दौलत का धमं…